पालिताणा। जैन शाश्वत तीर्थंकर पालिताणा में प.पू. आचार्य जिनपीयूष सागर सूरिश्वरजी की निश्रा में खरतरगच्छ समाज के 1000 पूरा होने के अवसर पर चातुर्मास, उपधान, 99 यात्रा समेत अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। पालिताणा में खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी महोत्सव के समापन अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह जैन धर्म के मूल सिद्धांत हैं। ये सिद्धांत भारतीय संस्कृति के प्राण है। आज के भौतिकवादी युग में यदि कोई धर्म या पंथ अपने मूल सिद्धांतों को बनाए रखता है तो ये सिद्धांत कभी अप्रचलित नहीं होंगे और शाश्वत रूप से विद्यमान रहेंगे। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने भारतीय समाज की गरिमा को बढ़ाते हुए लोगों को जीने की राह दिखाई है। महावीर स्वामी के सिद्धांतों ने लोगों के जीवन को सरल बनाने का काम किया है। इसके अलावा अपने देश की कला, संस्कृति, वास्तु और साहित्य को समय-समय पर नवजीवन देने का काम अाचार्यों ने किया है। खरतरगच्छ प्रवर्तक आचार्य जिनेश्वरसूरि के सम्मान में 1000 चांदी के सिक्के और डाक टिकट का वितरण किया गया। कार्यक्रम में आचार्य भगवंत जिनपीयूष सागर सूरिश्वरजी, सम्यकरत्नसागरजी, पालिताणा के विधायक, पोस्ट मास्टर, जिला विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पालिताणा के प्रांत अधिकारी समेत महानुभाव मौजूद थे।