सूरत। सिटी लाइट में महाराजा अग्रसेन भवन के श्याम कंुज में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शुक्रवार को पं. मालीराम शास्त्री ने अजामिल, भरत और भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सांसारिक मोहमाया के बंधन में फंसे लोग सदा चिंतित रहते हैं। चिंता से बुद्धि का नाश होता है। मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन की आवश्यकता है। चिंतन से बुद्धि निर्मल और विकसित होती है। जिसकी बुद्धि निर्मल है वह स्वतः सांसारिक दुःखों से दूर हो जायेगा। श्री श्याम सरकार यात्रा संघ के हनुमान सरावगी ने बताया कि पं. शास्री ने अजामिल की कथा सुनाते हुए कहा कि अजामिल का अर्थ है माया का मिलना। उन्होंने कहा कि पाप आंखों के जरिए मन में जाता है। आंख बिगड़ते ही मन बिगड़ जाता है। भक्त प्रह्नद की कथा सुनाते हुए कहा कि माता-पिता सदाचारी हों पर पुत्र दुराचारी हो तो जीवन बिगड़ जाता है, लेकिन यदि पुत्र सदाचारी और माता-पिता दुराचारी हो तो जीवन सुधर जाता है। भगवान से भोग नहीं भक्ति मांगों। यही चौरासी लाख योनियों के फंदे से छूटने का उत्तम साधन है। पं. शास्त्री ने कहा कि भोग तो विनाश का कारण है। इससे क्षणिक सुख की अनुभूति होती है, पर इसका परिणाम दु:खदायी होता है। उन्होंने कहा कि यह मान्यता है कि वृद्धावस्था में भजन करने से अगला जन्म सुधरता है। अगर यह सही है तो हम बचपन से ही भगवत् भजन क्यों न करें, जिससे हमारा यह जन्म भी सुधर जाए। आयुष पाल्लव, विजय सरावगी एवं संजय गुप्ता ने बताया कि सुबह 7:30 महाराजा अग्रसेन भवन से वीआईपी रोड श्याम मंदिर तक श्री सांवरिया सेवा संघ की ओर से श्री श्याम निशान पदयात्रा निकाली गयी। जिसमें सैकड़ों पदयात्री बाबा का जयकारा लगाते हुए श्याम मंदिर पहुंचें। बाबा को निशान अर्पित किए गए। शनिवार को गजेंद्र मोक्ष, वामन चरित्र, समुद्र मंथन, श्री राम अवतार, श्री कृष्ण अवतार एवं नंद महोत्सव का वर्णन किया जाएगा।