ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मंगलवार को खुली धमकी दी। बांग्लादेश सरकार ने कहा कि वह भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाने के लिए प्रयास जारी रखेगी और यदि आवश्यक हुआ तो अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग करेगी।
ढाका स्थित ‘डेली स्टार’ समाचार पत्र के अनुसार अंतरिम सरकार के कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि यदि भारत हसीना को वापस भेजने से इनकार करता है तो यह बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन होगा।
शेख हसीना 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं। वे 16 साल पुरानी अवामी लीग (एएल) सरकार के विशाल छात्र आंदोलन के दबाव में गिर जाने के बाद भारत आई थी। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और नागरिक अधिकारियों के खिलाफ “मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार” के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
बांग्लादेश ने पिछले वर्ष भारत को एक राजनयिक नोट भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी। नजरुल ने कहा कि हमने प्रत्यर्पण के लिए पत्र लिखा है। यदि भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित नहीं करता है तो यह बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का स्पष्ट उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में विदेश मंत्रालय इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उठाने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। कानूनी सलाहकार ने कहा कि विदेश मंत्रालय भी प्रयास कर रहा है और पहले ही ‘रेड अलर्ट’ जारी किया जा चुका है। नजरुल ने कहा कि हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। सरकार शेख हसीना को वापस लाने के लिए सभी प्रयास जारी रखेगी। यदि आवश्यकता हुई तो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी लिया जाएगा। भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के अनुसार, यदि अपराध ‘राजनीतिक चरित्र’ का हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। दूसरे प्रावधान के अनुसार किसी व्यक्ति को तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे चार महीने या उससे अधिक अवधि के लिए कारावास या अन्य प्रकार की नजरबंदी की सजा न दी गई हो।
अगर भारत ने शेख हसीना को वापस नहीं भेजा तो…’, बांग्लादेश की यूनुस सरकार की गीदड़भभकी
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