आहवा। 20 मार्च को डांग दरबार का आयोजन किया गया। सुबह 9:00 बजे कलेक्टर कार्यालय से डांग के राजाओं की रैली निकाली गई। जिसमें डांगी नृत्य समेत कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। बुधवार को शाम 7:00 बजे रंग उपवन में डांगी नृत्य के अलावा पावरी नृत्य, ठार्क्या नृत्य, मादण नृत्य, आदिवासी नृत्य, घेरैया नृत्य समेत कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। डांग दरबार डांग जिले की आन, बान और शान है।
डांग दरबार का इतिहास
सन् 1800 के आसपास अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर आधिपत्य जमाने का प्रयास किया, लेकिन यहां के राजाओं के सामने उनकी एक न चली। आखिरकार 1842 में ब्रिटिश राज ने डांग के आदिवासी राजाओं से एक संधि की। राजाओं की इसी विजय को याद करने के लिए इस संधि के बाद से यहां पर होली के अवसर पर सालाना डांग दरबार का आयोजन किया जाने लगा। सबसे पहला डांग दरबार वर्ष 1894 में आयोजित किया गया था। अंग्रेजों के शासनकाल में कोई ब्रिटिश अधिकारी डांग दरबार का आयोजन करता था। अब डांग जिले के कलेक्टर इस समारोह की मेजबानी करते हैं।