लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर 27 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं। यहां भाजपा के 8 और सपा के 3 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा के 7 उम्मीदवारों की जीत पहले से तय है। भाजपा ने अखिलेश यादव के करीबी संजय सेठ को मैदान में उतारकर पेंच फंसा दिया है। समाजवार्दी पार्टी को तीसरी सीट पर जीतना बहुत मुश्किल हो गया है। इन सबके बीच जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया राजा भैया किंग मेकर बन गए हैं। अखिलेश यादव ने अपने खास आदमी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को राजा भैया को मनाने के लिए भेजा था। अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि राजा भैया उनके पुराने साथी हैं और सपा की सरकार में मंत्री रह चुके हैं, मान जाएंगे, पर राजा भैया ने बड़ा खेल कर दिया।
कुंडा के विधायक राजा भैया यानी रघुराज प्रताप सिंह ने ऐलान किया है कि वह भाजपा के समर्थन में वोट डालेंगे। राजा भैया ने कहा- सपा के लोग आए थे, पर हमारी पार्टी का वोट भाजपा को ही मिलेगा। अब भाजपा के आठों प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है।
वोटों के गणित की बात करें तो समाजवादी पार्टी के पास कुल 108 वोट हैं। कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद दो वोट और उसके खाते में आ गए। इसके बावजूद सपा को तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए एक वोट की जरूरत है। सपा के दो विधायक जेल में हैं, उन्हें वोट डालने की अनुमति नहीं मिली तो यह संख्या बढ़कर तीन हो जाएगी।
कल्याण सिंह ने कहा था- कुंडा विहीन गुंडा करौं, भुज उठाई प्रण कीन्ह
राजा भैया का दोनों पार्टियों से बहुत पुराना नाता रहा है। निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद भी मंत्री बनते रहे हैं। राजा भैया पहली बार भाजपा की कल्याण सरकार में मंत्री बने थे। हालांकि बाद में अनबन होने के बाद कल्याण सिंह ने राजा भैया को “कुंडा का गुंडा’ तक कह दिया था। चुनाव प्रचार में कल्याण सिंह ने कहा था “कुंडा विहीन गुंडा करौं, भुज उठाई प्रण कीन्ह’। लेकिन बाद में परिस्थितियां ऐसी बदली कि राजा भैया को भाजपा सरकार में मंत्री बनाना पड़ा।
मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं
बात सन् 2002 की है। भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने राजा भैया को आतंकवादी घोषित करके जेल में डाल दिया था। उन पर पोटा समेत कई गंभीर धाराएं लगाई गई थी। राजा भैया 11 महीने जेल में रहे। हालात ऐसे बदले कि मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बन गए। मुलायम की सरकार बनते ही राजा भैया जेल से बाहर आ गए। मुलायम ने राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री बनाया था। राजा भैया मुलायम सिंह के बेहद करीबी रहे हैं। 2012 में जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी तो उन्होंने भी राजा भैया को मंत्री बनाया था।
2018 में भी राजा भैया ने चली थी सियासी चाल
2018 में सपा और बसपा ने मिलकर दो सीटों पर राज्यसभा का चुनाव लड़ा था। सपा ने जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया था। वहीं बसपा ने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। अखिलेश यादव ने राजा भैया के साथ बैठक करके उन्हें दोनों उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी। राजा भैया ने एक वोट जया बच्चन को दिया और दूसरा वोट बसपा उम्मीदवार की जगह भाजपा को दिया था।