नई दिल्ली। जाने-माने गीतकार गुलजार और संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। ज्ञानपीठ चयन समिति ने दोनों हस्तियों को साल 2023 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया है। गुलजार को 2002 में साहित्य अकादमी, 2004 में पद्म भूषण और 2013 में दादा साबह फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। तुलसी पीठ के संस्थापक और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भी भारत सरकार 2015 में पद्म विभूषण देकर सम्मानित कर चुकी है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य की जन्म के दो महीने बाद ही दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। उन्हें भाषा का अपार ज्ञान है वह 22 से अधिक भाषाओं को जानते हैं। अब तक 100 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। गुलजार ने फिल्म इंडस्ट्री और संगीत में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
यह भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है। साल 1961 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। 1965 में पहली बार मलयालम कवि जी. शंकर को यह पुरस्कार दिया गया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार में 11 लाख रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य की प्रतिमा दी जाती है।