नई दिल्ली। शनिवार को बजट सत्र के अंतिम दिन दोनों सदनों में राम मंदिर पर आभार प्रस्ताव पेश किया गया। प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर निर्माण के लिए अभिनंदन दिया गया। इसके साथ ही राम मंदिर को भारत, भारतीय, प्राचीन संस्कृति के प्रतीक के रूप में बताया गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यपाल सिंह ने श्री राम मंदिर के निर्माण और राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा शुरू की। सांसद सत्यपाल ने कहा कि राम मंदिर सामुदायिक मुद्दा नहीं बल्कि एक चेतना, विरासत और मोक्ष हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि 22 जनवरी आध्यात्मिक चेतना का दिन है। राम के बिना देश की कल्पना नहीं की जा सकती है। राम जनमानस के प्राण हैं, राम राष्ट्रीय चेतना के आधार हैं। अमित शाह ने कहा- आज मैं किसी का जवाब नहीं दूंगा, बस अपने मन की बात कहूंगा। 22 जनवरी आने वाले दिनों के लिए ऐतिहासिक होगा। यह वह दिन है जब राम भक्तों की आशाएं, आकांक्षाएं पूरी हुई। दुनिया के कई देशों ने रामायण को स्वीकार किया है। रामराज्य किसी एक धर्म के लिए नही है। अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर के आंदोलन के नजरअंदाज करके इस देश का इतिहास कोई नहीं पढ़ सकता है। 1528 के बाद से हर पीढ़ी ने किसी न किसी रूप में इस आंदोलन को देखा है। यह मामला लंबे समय तक अटका रहा और मोदी सरकार के समय में सपना पूरा हुआ। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राम मंदिर आंदोलन को आवाज मिली। 22 जनवरी का दिन महान भारत की यात्रा की शुरुआत का दिन है।